गोद मे था
आज फुर्सत थी,
आराम था,
प्यार भी था,
सब संतुलित था,
मै अकेला नहीं था,
खुस था,
लग रहा था,
कोई जंग जीती हो,
प्रेम की वर्षा,
मेरे ऊपर ही थी,
एक आगोश के मध्य,
खुद को समेटे था,
कोख थी,
आचल था,
मेरे मुह से बहते लार को,
पोछने वाला था,
मेरी मुस्कुराहट पर,
मुसकुराने वाला था,
मेरे बढ़ते कदम को,
सहारा देने वाला था,
पसंद नापसंद की चाहत को,
जानने वाला था,
मेरी आत्मा मे वाश,
करने वाला था,
वक्त के साथ मेरी प्रथम,
पाठशाला बनाने वाला था,
अछे बुरे की समझ,
देने वाला था,
मेरी उमंगो को रास्ता,
दिखने वाला था,
मेरे रास्तो से काटे,
हटाने वाला था,
जिन्दगी के मर्म से मेरी,
बुनियाद बनाने वाला था,
मेरी शरारतो को,
झेलने वाला था,
कलम और शब्दों से प्यार,
सिखाने वाला था,
स्वस्थ मन और विचारो को,
भरने वाला था,
हजारो गलतियों को,
माफ़ करने वाला था,
इसीलिए,
मै अकेला नहीं था,
फुर्सत मे था,
सब संतुलित था,
क्योकि,
मै माँ के,
गोद मे था,
गोद मे था.